सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति के मुद्दे पर एक नया मोड़ आ गया है ,जिसके कारण सहायक शिक्षक और सरकार के बीच वार्ता विफल होते जा रहा है ,और ये मोड़ गलत वित्तीय गणना पेश करना है . किस प्रकार का गलत गणना है ,अधिकारी ऐसा क्यों कर रहे है ? क्या सहायक शिक्षकों की मांग पूरी होने वाली है ? जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें .
सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति में आने वाले वित्तीय भार को विभागीय अधिकारी मुख्यमंत्री को गलत आकड़ा बताकर सरकार को भ्रमित कर रहे है। छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया की प्रदेश के सभी सहायक शिक्षकों के मांगों की पूर्ति मात्र 812 करोड़ में ही हो जाएगी .
लेकिन विभागीय अधिकारी वेतन विसंगति को दूर करने के लिए 1600 करोड़ का गलत आंकड़ा मुख्यमंत्री को बताकर सहायक शिक्षकों के मांगो पर पानी फेर रहे है।
24 दिसम्बर को सहायक शिक्षक के प्रतिनिधि मंडल और प्रमुख शिक्षा सचिव डॉ. अलोक शुक्ला के साथ दो घंटे की लम्बी बातचीत हुई। लेकिन वेतन विसंगति के दूर करने पर सहमति नहीं बनने के कारण दूसरे दौर का वार्ता भी विफल हो गया।
अधिकारी दे रहे गलत आकड़ा
सहायक शिक्षक और अधिकारीयों के बीच दुसरे दौर के वार्ता में यह बात सामने आई कि शिक्षा विभाग के अधिकारी और गठित कमिटी के सदस्य सहायक शिक्षकों के मांगों के पूर्ति हेतु राशि की गणना को गलत पेश कर रहे है।
छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के अध्यक्ष के अनुसार सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने की मांग 812 करोड़ में हो जाएगी वही अधिकारी 1600 करोड़ का गलत आकड़ा मुख्यमंत्री को बताकर दिग्भ्रमित और गुमराह कर रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा कि हम आज के बैठक में प्रमुख सचिव को सही आकड़ा बताये है 812 करोड़ की ही लागत आएगी।
सरकार किसी अन्य मुद्दे पर बजट का जिक्र भी नहीं करती है , जब भी कर्मचारी संगठन अपने जायज मांग की पूर्ति हेतु आंदोलन करते है तब विभागीय अधिकारी सहित सरकार द्वारा बजट का रोना रोया जाता है। लेकिन अन्य मुद्दों पर इससे भी भारी भरकम बजट खर्च होता है तब बजट का कोई जिक्र भी नहीं होता।
शासन के द्वारा हमेशा कर्मचारियों की मांगों के लिए ही बजट को बीच में क्यों लाया जाता है। वैसे भी सहायक शिक्षकों के वेतन विसंगति को दूर करने का वादा तत्कालीन राज्य सरकार ने किया है। अब सहायक शिक्षकों को गुमराह या आश्वाशन देने के बजाय सहायक शिक्षकों के मांगों को पूरा करके स्कूल को पढ़ाई हेतु पुनः खोले जाने चाहिए।
क्या अधिकारी ही सहायक शिक्षकों के मांगो को पूरा नहीं होने दे रहे है
सरकार और सहायक शिक्षकों के बीच दुसरे दौर के वार्ता में जो बातें सामने आई उसके अनुसार अधिकारी राज्य सरकार को बजट का गलत आंकड़ा प्रस्तुत करने पर यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या अधिकारी सहायक शिक्षकों के मांगों के पूर्ति होने में रोड़ा अटका रहे है।
दूसरी बात कमिटी द्वारा अभी तक रिपोर्ट नहीं सौपना , हड़ताल को 15 दिन होने के बाद भी वेतन विसंगति निराकरण कमिटी के सदस्यों का गहरी नींद में सोना कई सवालों को पैदा देती है। जिसमे सबसे पहला प्रश्न चिन्ह अधिकारीयों के उपर ही लगता है .
मुख्यमंत्री को स्वयं करनी चाहिए चर्चा - अभी वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है जैसे हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री को सहायक शिक्षकों से कोई लेना देना नहीं है ,क्योंकि जिस तरह माननीय मुख्यमंत्री ने पहले वादा किये थे उसमे उन्हें खरा उतरना चाहिए ,या फिर यूँ कहें कि मुख्यमंत्री को स्वयं सहायक शिक्षकों से बात करने की पहल करनी चाहिए .
पढ़ें - सरकार और सहायक शिक्षकों के बीच दुसरे दौर का वार्ता विफल - अब आगे क्या ??
4 Comments
2018 मे स्मविलियान हुए सहायक शिक्षक को ही लाभ मिलना है उसी के संख्या के आधार पर अकड़ा बनेगा ।प्रश्न यह है कि वेतन विसंगति दूर कैसे होगा 7सका फार्मूला क्या है ऐसा कोई प्रस्ताव ही कमेटी के पास नहीं भेजा गया है ।कमेटी को भी संघ को akdo के आधार पर प्रस्ताव की कापी देनी चाहिए ।फेडरेशन भी प्रस्ताव को सवरजनिक नहिंकिया है जबकि प्रशासनिक स्तर पर सभी सहायक शिक्षको सुपर न्युमरेरी के आधार पर पदोन्नति दे कर है वेतन विसंगति दूर किया जा सकता है ।
ReplyDeleteप्रशासन के समक्ष कोई प्रस्ताव आयेगा तब को वह मुख्यमंत्री को भेजेंगे केवल वेतन विसंगति दूर करो दूर करो चिल्लाने से कम नहीं बनेगा ।
फेडरेशन के प्रांतीय कमेटी के लोग प्रस्ताव तैयार कर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करे ।जिसे परीक्षण कर मुख्य मंत्री के पास भेजा जा सके ।
फेडरेशन को वेतन विसंगति दूर करने का फार्मूला का प्रस्ताव देना चाहिए।
Federation bahut pahle drapt bna kr saop chuka hai sirji
DeletePahle se de chuke h
Deleteफेडरेशन ने वेतन विसंगति दूर करने का फार्मूला का प्रस्ताव बनाकर कमेटी को पहले ही सौंप दिए हैं ,भाई साहब ,आप इतना डेढ़ होसियार क्यों बन रहें हैं। जय फेडरेशन।
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