सहायक शिक्षक क्रमोन्नति वेतन -निराकरण के निर्देश
बिलासपुर : सहायक शिक्षकों की क्रमोन्नति वेतन का मामला काफी पुराना है ,जो अभी तक किसी समाधान में नहीं पहुंच सका है। इसके लिए सहायक शिक्षकों ने कई बार आंदोलन भी किये है लेकिन शासन इस मुद्दे को नजर अंदाज करती रही है।
20 वर्ष नौकरी करने के बाद भी क्रमोन्नति वेतन नहीं मिलने पर सहायक शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किये है। प्रकरण की सुनवाई जस्टिस पी.सैम कोसी की सिंगल बेंच ने की है।
क्रमोन्नति के लिए DEO और CEO को नोटिस
कांकेर जिले के सहायक शिक्षकों द्वारा दायर किये गए याचिका पर हाई कोर्ट में जस्टिस पी.सैम कोसी की सिंगल बैच ने सुनवाई करने के बाद कांकेर DEO और जनपद पंचायत अंतागढ़ के CEO को नोटिस जारी किया है।
DEO और CEO को जारी किये गए नोटिस में सहायक शिक्षकों के क्रमोन्नति सम्बन्धी मामले को छार महीने के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिए है।
1998 में हुई थी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन सहायक शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किये है उनकी नियुक्ति वर्ष 1998 में शिक्षाकर्मी वर्ग- 3 के रूप में हुई थी।
वर्तमान में सभी सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत है। और सभी का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में हो चुकी है। लेकिन क्रमोन्नति वेतन से वंचित रखा गया है।
10 वर्ष की सेवा में है क्रमोन्नति का नियम
एक ही पद में लगातार 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर शासन ने क्रमोन्नति वेतन देने के लियाम बनाये है ,इसके बाद भी 20 वर्ष या इससे अधिक सेवा एक ही पद में देने के बाद सहायक शिक्षकों को कोई क्रमोन्नति मिल रहा है।
क्रमोन्नति वेतन के लिए नियम शासन ने ही बनाये है ,इसी कारण शिक्षकों ने उस नियम के तहत क्रमोन्नति की मांग कर रहे है ,लेकिन शासन इस ओर कोई फैसला नहीं ले रही है।
बीस साल की नौकरी करने के बाद भी क्रमोन्नति वेतन नहीं मिलने पर सहायक शिक्षक श्री मति सरस्वती निषाद ,संजय कुमार कुंजाम एवं लेखराम साहू ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर क्रमोन्नति वेतनमान प्रस्तुत करने की मांग की थी।
शासन का तर्क संविलियन के बाद हो 10 वर्ष
शिक्षाकर्मियों का संविलियन शिक्षा विभाग में वर्ष 2018 से शुरू हुआ है , संविलियन होने के बाद अब इन्हे एल बी संवर्ग में रखा गया है और अब शिक्षक एल बी संवर्ग राज्य सरकार के नियमित कर्मचारी है।
शासन का तर्क है कि कोई भी शिक्षक जिनकी सेवा शिक्षा विभाग में एक ही पद में कार्यकाल 10 वर्ष है उन्हें क्रमोन्नति वेतन की पात्रता होगी। ऐसे में जिन शिक्षकों का संविलियन 2018 में हुआ है उन्हें 2028 मे क्रमोन्नति की पात्रता होगी।
2028 के आते आते कई शिक्षकों का रिटायरमेंट हो जायेगा और उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा ,सरकार की ये कैसे नीति है। इस नीति को बदलने की आवश्यकता है। और प्रथम नियुक्ति के आधार पर ही क्रमोन्नति देने का आदेश जारी करना चाहिए।
क्रमोन्नति वेतन के सम्बन्ध में यदि आपका कोई सलाह या विचार है तो आप हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते है ,जिससे हम शिक्षक हित में क्रमोन्नति के लिए आपके विचार को लोगों तक पहुंचा सकें। धन्यवाद।
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4 Comments
जब मध्य प्रदेश में शिक्षा कर्मियों का प्रथम नियुक्ति तिथि को आधार मानकर क्रमोन्नति वेतन मिल रहा है तो यहां छत्तीसगढ़ में अलग क्यों, छत्तीसगढ़ में भी प्रथम नियुक्ति तिथि को आधार मानकर क्रमोन्नति वेतन के लिए शासन को तत्कालआदेश जारी करना चाहिए
ReplyDeleteपिछली नियुक्ति अर्थात शिक्षाकर्मी वर्ग 3 से नया नियुक्ति वर्ग 2 में हुआ या वर्ग 2 से नया नियुक्ति वर्ग 1 में हुआ तो पिछले पद के समय को गिनकर वर्तमान पद में मिलाकर 8 साल हो गया मानकर बहुत से शिक्षकों को लाखों रूपए एरियर्स के रूप में दिया गया। तो जब पैसों के मामलों में पिछली नियुक्ति को गिना जा सकता है तो क्रमोन्नति और पदोन्नति के लिए क्यों नहीं गिना जा सकता है? क्योंकि इसमें कमीशन नहीं मिलेगा? आपनी राय जरूर शेयर करें, और किसी ऐसी ही लेख के द्वारा शिक्षकों के हित की बात सरकार तक पहुंचाने का कष्ट करें। धन्यवाद्।
ReplyDeleteराज्य शासन ने संविलयन हुए शिक्षकों का वरिष्ठता के लिए प्रथम नियुकि्त को मान्य किया है इस आधार पर क्रमोन्नति दिया जाना चाहिए।
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ शासन वित्त एवं योजना विभाग के आदेश क्र 233/वित्त/नियम/चार/09 दिनांक 10अगस्त 2009के बिंदु क्र03 मे स्पष्ट है संविलियन पूर्व सेवा को जोड़कर क्रमोन्नत/सम्मान देना है।
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