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कोरोना संक्रमण का बड़ा माध्यम बन सकता है गली मोहल्ले में पढ़ाना | छात्रों और शिक्षकों में कोरोना संक्रमण का खतरा ,,,,,, वर्तमान समय में दूरदर्शन ही सबसे अच्छा विकल्प ,,,,शालेय शिक्षक संघ ने स्कूलों में किये जा रहे नए नए प्रयोगों पर रोक लगाने की मांग की ,,,मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन

गली मोहल्लों में क्लास लगाने से छात्र और शिक्षक हो सकते है कोरोना संक्रमित दूरदर्शन ही सबसे अच्छा विकल्प,इसमें क्यों नही करवाया जा रहा है क्लास का प्रसारण- वीरेंद्र दुबे

कोरोना वायरस  संक्रमण पुरे देश में तेजी  फ़ैल रहा है ,साथ ही छग में भी कोरोना 10 हजार  के पार हो चूका है ,ऐसे में बच्चों को गली मोहल्ले में बैठा कर पढ़ाना कोई खतरे  नहीं होगा।


सरकार,विभाग,शासन-प्रशासन खुद नही ले रही स्कूल खोलने की जिम्मेदारी जबकि पढाई जारी रखने हेतु शिक्षक और समुदाय को किया जा रहा बाध्य,जिसमे शिक्षकों को समुदाय का नही मिल रहा सहयोग उल्टे संक्रमण के डर से हो रहा विरोध। 

समुदाय और पालक  अपने बच्चों के जीवन सुरक्षा को लेकर चिंतित है। वो नही चाहते कि ऐसा कोई काम हो जिससे संक्रमण फैलने की आशंका बढ़े। 

गली मोहल्ले में पढ़ाना इस समय उचित नहीं

गली मोहल्लों में पढ़ाना अव्यवहारिक निर्णय है , इससे गांवों में लोगों की भीड़ लग जाती है।  और सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जी उड़ने  लगती है। छ्ग शालेय शिक्षक संघ ने इस कदम से होने वाले खतरे से  सचेत किया है और किया इसे तत्काल बन्द करने की मांग की है। 

यदि स्कूल में है कोरोना का खतरा तो गली मोहल्ले में पढ़ाने से उससे दुगुना है संक्रमण का खतरा: छ्ग के बच्चोँ और शिक्षकों की जान जोखिम में न डाले सरकार, महामहिम राज्यपाल और संवेदनशील मुख्यमंत्री जी करें हस्तक्षेप,बन्द करायें यह अव्यवहारिक प्रयोग। 
ऑनलाइन पढाई के नवप्रयोग के असफल होने के पश्चात शिक्षाविभाग द्वारा गली मोहल्ले में जाकर पढ़ाने का नया फरमान जारी हुआ है,जिसे पूरी तरह अव्यवहारिक बताते हुए ऐसे असफल प्रयोगों को तत्काल बन्द करने की मांग छतीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ ने किया है।

मध्यप्रदेश में सक्रमित हुए छात्र और शिक्षक 

उल्लेखनीय है कि कुछ इसी तरह का प्रयोग मध्यप्रदेश में किया गया था,जिसके कारण वहां के कइयों विद्यार्थी और शिक्षक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। अब ऐसा ही आदेश छ्ग के शिक्षा विभाग द्वारा भी निकाला गया है। 

जिसमे शिक्षकों को गांव के गली मोहल्लों में जाकर पढ़ाने को दबाव बनाया जा रहा है। जबकि विभाग द्वारा शिक्षकों व बच्चो को पीपीई  किट, मास्क,सेनिटाइजर जैसी सुरक्षा साधन मुहैय्या नही कराया गया है। 

लाऊड स्पीकर से पढ़ाने को कहा जा रहा है पर लाउडस्पीकर उपलब्ध नही कराया गया है, लाऊड स्पीकर से क्या सभी विषयों की पढ़ाई सम्भव है यह भी विचारणीय प्रश्न है।

छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने इस अव्यवहारिक निर्णय पर तत्काल रोक लगाने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग किया है कि जब स्कूल खोलकर पढ़ाने से कोरोना संक्रमण का भय है तो गली-गली, मोहल्लों में जाकर पढ़ाने से संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा बड़ा है।


क्योंकि गांवों में सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क नदारद है और लोगो की भीड़ जुट जाती है, बरसात का मौसम है आये दिन पानी गिर रहा है ऐसे में खुले में पढ़ाना भी कितना न्यायसंगत है यह भी सोचना होगा। 

मुख्यमंत्री इस मामले हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए वीरेंद्र दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री जी संवेदनशील है और छ्ग के नौनिहालों की सुरक्षा व उन्हें संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए अवश्य ही इस अव्यवहारिक   निर्देश पर रोक लगाएंगे।

संगठन के महासचिव धर्मेश शर्मा तथा प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने वर्तमान समय के लिए शिक्षा का सबसे अच्छा माध्यम दूरदर्शन और रेडियो को बताते हुए कहा कि इन दोनों माध्यम की  पहुंच घर घर तक है,जिसके कारण सोशल डिस्टेंशिग का पूरा पालन होगा और संक्रमण का खतरा शून्य हो जायेगा क्योंकि बच्चे तब अपने घर पर ही रहकर अध्ययन कर सकेंगे, यह सबके लिए निःशुल्क और सर्वसुलभ माध्यम है। 

संगठन ने इसके लिए सोशल मीडिया के माध्यम से एक सर्वे भी किया था जिसमे लगभग सौ फीसदी लोगो ने दूरदर्शन को सबसे बेहतर और उचित विकल्प माना था और शासन से मांग भी किये थे कि इस माध्यम से इस कोरोना काल मे पढाई कराई जावे। 

लाइडस्पीकर से पढाई,गली मोहल्ले में जाकर पढाई के पक्ष में एक भी व्यक्ति नही मिला। सर्वे पर यह आमराय सोशल प्लेटफार्म पर उपलब्ध है कोई भी इसकी पुष्टि कर सकता है।

ये जानकारी छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रतांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे के द्वारा दी गयी है। 

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