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कोरोना से सहायक शिक्षक की मौत ,,,घर घर जाकर सर्वे करने में लगी थी ड्यूटी ,,,,शिक्षक संघ ने तत्काल 1 करोड़ मुआवजा और अनुकम्पा नियुक्ति की मांग की है ,,,,,

बेमेतरा : छग में शिक्षकों की ड्यूटी बिना किसी सुरक्षा के कोरोना से सम्बंधित सर्वे और कोरोना मरीजों को लाने ले जाने इत्यादि कार्यों में लगाया जा रहा है ,,जिससे शिक्षकों की जान को खतरा है ,,इस सम्बन्ध में शिक्षक संघों द्वारा पहले ही शासन के इस निर्णय का वरोध किया है।

इसी बीच एक दुखद समाचार सामने आ रही है -छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में कोरोना से एक शिक्षक की मौत हो गई हैं। इस शिक्षक की ड्यूटी एक्टिव सर्विलांस टीम में घर घर जाकर सर्वे करने के लिए लगाई गई थी।
शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 27 जुलाई से उसे एम्स रायपुर में भर्ती कराया गया था। आज सुबह इनकी मौत की खबर मिली है । 
शास.प्राथ शाला देवादा में पदस्थ था स.शिक्षक 

सहायक शिक्षक विनोद कुमार पटेल जो कि शासकीय प्राथमिक शाला देवादा ,विकासखंड बेरला में पदस्थ था ,आज विनोद कुमार पटेल की  कोरोना संक्रमण से आकस्मिक निधन हो गया। 

इस घटना से समस्त शिक्षक समुदाय में गहरी  निराशा व  आक्रोश पैदा हो गया है। क्योंकि मृत शिक्षक विनोद पटेल ने विखं शिक्षाधिकारी बेरला के आदेश पर कन्टेनमेन्ट जोन में सर्दी,बुखार,खांसी के लक्षणों वाले  व्यक्तियों की खोज में घर घर सर्वे कार्य किया था। 

1 करोड़ बीमा की मांग  

सर्वे करने वाले शिक्षकों को किसी भी तरह के कोरोना सुरक्षा संसाधन शासन प्रशासन की ओर से उपलब्ध नही कराया गया था। लगभग  पूरे प्रदेश में यही हाल है,जबकि छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ लगातार ऐसे कोरोना वारियर्स शिक्षकों के लिए 1 करोड़ की बीमा राशि व सुरक्षा संसाधन की मांग करते रहा है। 

कोरोना संक्रमण से मृत शिक्षक विनोद पटेल के परिवारजन को 1 करोड़ मुआवजा और तत्काल अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांग छतीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने की है।

सहायक शिक्षक के मौत का जिम्मेदार कौन ?


आपको बता दें  कि सर्वे उपरांत 27 जुलाई से मृत संक्रमित शिक्षक का रायपुर एम्स में इलाज चल रहा था,और वे वेंटिलेटर पर थे। शिक्षक की इस तरह मौत पर प्रदेश का पूरा शिक्षक समुदाय आक्रोशित है,और अपने साथी के कोरोना संक्रमण की मृत्यु से भड़के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि इस मौत का जिम्मेदार कौन..?? 

गली मोहल्ले में क्लास लगाना अनुचित 

शिक्षा विभाग द्वारा कोरोना काल मे लगातार बच्चों और शिक्षकों के बीच असफल और अव्यवहारिक प्रयोग किये जा रहा है,शिक्षकों का बिना बीमा किये,बिना कोरोना सुरक्षा संसाधन दिए कोरोना संक्रमितों के बीच ड्यूटी लगा रहा है,गली मोहल्ले में जाकर पढ़ाने बोला जा रहा है। 

जब संक्रमण प्रदेश में अत्यंत कम था तो स्कूल और कक्षाएं बन्द रखी गई,और अब जबकि  कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल  रहा है और प्रदेश में संक्रमितों की संख्या दस हजार से भी ऊपर  जा चुकी है। 

प्रदेश के 114 विखं रेड जोन 4 विखं आरेंज जोन में तब विभाग गली मोहल्ले में क्लास लगाने हेतु शिक्षकों को बाध्य कर रही है, सारी जिम्मेदारी पालक,शिक्षक और समुदाय को दी जा रही  है,खुद विभाग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़कर स्कूलों में कदापि कक्षा न लगाने हेतु ताकीद दे रही है। 

शासन के इस लापरवाही पूर्ण निर्णय से समुदाय,पालक और शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश है,समुदाय भी इसका विरोध करते संक्रमण के डर से व्यवस्था करने में खुद को असक्षम मानंते हुए ऐसी कक्षाओं को अपने गांव के गलियों में न लगाने की बात कह रही है। 

वैसे  भी सभी को पता ही है गांवों और गलियों में कितना सोशल डिस्टेंसिंग,मास्क और सेनिटाइजर का उपयोग किया जा रहा है ये बात किसी से छिपा नही हैं।


संगठन के महासचिव धर्मेश शर्मा,प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा,बेमेतरा जिला अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह तथा छतीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के बेरला इकाई ने कोरोना संक्रमण से मृत शिक्षकों के आश्रित को 1करोड़ रुपये का मुआवजा व तत्काल अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने की मांग शासन से की है।

साथ ही प्रदेश के समस्त कोरोना वारियर्स शिक्षकों के लिए 1 करोड़ का बीमा कराया जावे तथा उन्हें कोरोना सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराएं।


प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संकमण के बीच गली मोहल्ले की पढ़ाई संक्रमण का बड़ा माध्यम बन सकती है,इसे तत्काल बन्द किया जावे।

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